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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2678
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन

प्रश्न- 'स्वच्छंदतावाद प्रचलित मान्यताओं के प्रति विद्रोह करते हुए आत्माभिव्यक्ति तथा प्रकृति के प्रति अनुराग के चित्रण को महत्व देता है। विचार कीजिए।

उत्तर -

स्वच्छंदतावाद का जन्म शास्त्रवाद की गतानुगतिकता एवं रूढ़ियों के खिलाफ हुआ। स्वच्छंदतावादी कवियों ने अपने समय से पूर्व प्रचलित मान्यताओं का तीव्र विरोध किया। शास्त्रवाद ने कविता को नियमबद्धता, कृत्रिमता तथा आडम्बर के अदृश्य बन्धनों में जकड़ दिया था जिसके प्रति इन कवियों ने तीव्र विद्रोह किया और ऐसा मार्ग प्रशस्त किया, जो जन साधारण के लिए सर्व-सुलभ था। वास्तव में स्वच्छंदतावादी कवियों ने न केवल काव्य के रचनाशिल्प के प्रति विद्रोह किया वरन् विषय जगत में भी नवीन मार्ग का अनुसरण किया। यह काव्यधारा प्राचीनता से विमुख है तथा नवीनता की पक्षधर है। इसी नवीन भावना से ओत-प्रोत हो उन्होंने कई नवीन साहित्यिक प्रयोग किये। हिन्दी साहित्य की छायावादी काव्यधारा में भी प्रचलित मान्यताओं के प्रति तीव्र विरोध दृष्टिगत होता है। इस युग के कवियों ने भी द्विवेदीयुगीन नियमबद्धता, कृत्रिमता और शास्त्रवाद से मुक्ति के लिए विद्रोह किया इन कवियों ने बुद्धिवाद का तीव्र विरोध किया और साधारण मानव के प्रति सहानुभूति रखी -

तोड़ छन्द के बन्ध,
प्रांस के रजत पाश

स्वच्छंदतावादी कवियों ने किसी विशेष उद्देश्य या प्रयोजन को लक्ष्य कर काव्य सर्जना नहीं की। उनके लिए काव्य अपनी वैयक्तिक अनुभूतियों को प्रकट करने का माध्यम था। इन कंवियों ने अपनी कविताओं में स्वयं को उपस्थित कर अपनी दृष्टि, अपनी भावना एवम् अपनी रुचि के चित्रण को ही प्रधानता दी जिसके परिणामस्वरूप काव्य में वैयक्तिक मनोवेगो को विशिष्ट स्थान प्राप्त हुआ और बुद्धि तत्त्व के स्थान पर भाव तत्त्व को प्राथमिकता मिली।

हिन्दी साहित्य के छायावादी काव्य में भी आत्मानुभूति का स्वर मुखरित हुआ है -

रो-रोकर सिसक-सिसक कर
कहता मैं करुण कहानी
तुम सुमन नोचते जाते
करते जानी अनजानी।

छायावाद के पहले 'द्विवेदी युग' था जो कि अपनी स्थूलता एवं कृत्रिमता के लिए जाना जाता है। इसमें व्यक्तिगत अनुभूतियों के चित्रण की छूट नहीं थी, कविता राष्ट्रीय, नैतिक सामाजिक परिस्थितियों से परिचालित थी। छायावाद में निराला पहली बार रचना के केन्द्र में व्यक्ति की सत्ता स्वीकार करते हुए लिखते हैं -

'मैंने मैं शैली अपनाई'

स्वच्छंदतावादी काव्यधारा में मानव की चिरसहचरी प्रकृति का भी काव्य से अटूट सम्बन्ध रहा है। इन कवियों ने जीवन संग्राम में श्लथ होकर प्रकृति की गोद में शरण ली। इनके प्रकृति- चित्रण में ग्राम्य जीवन की उस नैसर्गिकता की ओर आकर्षण प्रकट किया गया है, जिसमें स्वाभाविक जीवन के आह्लाद से लसित कृषक किशोरियों, ग्राम्य बालाओं और दूर-दूर तक फैली उन्मुक्त प्रकृति के मनोहारी दृश्यों की प्रधानता है। वर्ड्सवर्थ तो प्रकृति के कवि ही माने जाते हैं। उनकी Education of Nature और Solitary Reaper कविता तो प्राकृतिक दृश्यों के चित्रण से सराबोर है :

छायावाद में प्रकृति चित्रण भी खूब हुआ है। छायावाद की सर्वोत्कृष्ट रचना 'कामायनी' ( 1935) प्रकृति की ही पृष्ठभूमि में रची गई है।

निराला की एक पंक्ति दृष्टव्य है -

दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से
उतर रही है वह सांध्य - सुन्दरी
परी-सी धीरे-धीरे।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आलोचना को परिभाषित करते हुए उसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकासक्रम में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के योगदान की समीक्षा कीजिए।
  4. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की आलोचना पद्धति का मूल्याँकन कीजिए।
  5. प्रश्न- डॉ. नगेन्द्र एवं हिन्दी आलोचना पर एक निबन्ध लिखिए।
  6. प्रश्न- नयी आलोचना या नई समीक्षा विषय पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन आलोचना पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- द्विवेदी युगीन आलोचना पद्धति का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- आलोचना के क्षेत्र में काशी नागरी प्रचारिणी सभा के योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- नन्द दुलारे वाजपेयी के आलोचना ग्रन्थों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- हजारी प्रसाद द्विवेदी के आलोचना साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  12. प्रश्न- प्रारम्भिक हिन्दी आलोचना के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  13. प्रश्न- पाश्चात्य साहित्यलोचन और हिन्दी आलोचना के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी आलोचना पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  15. प्रश्न- आधुनिक काल पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद से क्या तात्पर्य है? उसका उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  17. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए उसकी प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी आलोचना पद्धतियों को बताइए। आलोचना के प्रकारों का भी वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के अर्थ और स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख भर कीजिए।
  21. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के व्यक्तित्ववादी दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  22. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद कृत्रिमता से मुक्ति का आग्रही है इस पर विचार करते हुए उसकी सौन्दर्यानुभूति पर टिप्णी लिखिए।
  23. प्रश्न- स्वच्छंदतावादी काव्य कल्पना के प्राचुर्य एवं लोक कल्याण की भावना से युक्त है विचार कीजिए।
  24. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद में 'अभ्दुत तत्त्व' के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए इस कथन कि 'स्वच्छंदतावादी विचारधारा राष्ट्र प्रेम को महत्व देती है' पर अपना मत प्रकट कीजिए।
  25. प्रश्न- स्वच्छंदतावाद यथार्थ जगत से पलायन का आग्रही है तथा स्वः दुःखानुभूति के वर्णन पर बल देता है, विचार कीजिए।
  26. प्रश्न- 'स्वच्छंदतावाद प्रचलित मान्यताओं के प्रति विद्रोह करते हुए आत्माभिव्यक्ति तथा प्रकृति के प्रति अनुराग के चित्रण को महत्व देता है। विचार कीजिए।
  27. प्रश्न- आधुनिक साहित्य में मनोविश्लेषणवाद के योगदान की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- कार्लमार्क्स की किस रचना में मार्क्सवाद का जन्म हुआ? उनके द्वारा प्रतिपादित द्वंद्वात्मक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।
  29. प्रश्न- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद पर एक टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- ऐतिहासिक भौतिकवाद को समझाइए।
  31. प्रश्न- मार्क्स के साहित्य एवं कला सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- साहित्य समीक्षा के सन्दर्भ में मार्क्सवाद की कतिपय सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  33. प्रश्न- साहित्य में मार्क्सवादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- मनोविश्लेषणवाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
  35. प्रश्न- मनोविश्लेषवाद की समीक्षा दीजिए।
  36. प्रश्न- समकालीन समीक्षा मनोविश्लेषणवादी समीक्षा से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- मार्क्सवाद की दृष्टिकोण मानवतावादी है इस कथन के आलोक में मार्क्सवाद पर विचार कीजिए?
  38. प्रश्न- मार्क्सवाद का साहित्य के प्रति क्या दृष्टिकण है? इसे स्पष्ट करते हुए शैली उसकी धारणाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- मार्क्सवादी साहित्य के मूल्याँकन का आधार स्पष्ट करते हुए साहित्य की सामाजिक उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- "साहित्य सामाजिक चेतना का प्रतिफल है" इस कथन पर विचार करते हुए सर्वहारा के प्रति मार्क्सवाद की धारणा पर प्रकाश डालिए।
  41. प्रश्न- मार्क्सवाद सामाजिक यथार्थ को साहित्य का विषय बनाता है इस पर विचार करते हुए काव्य रूप के सम्बन्ध में उसकी धारणा पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- मार्क्सवादी समीक्षा पर टिप्पणी लिखिए।
  43. प्रश्न- कला एवं कलाकार की स्वतंत्रता के सम्बन्ध में मार्क्सवाद की क्या मान्यता है?
  44. प्रश्न- नयी समीक्षा पद्धति पर लेख लिखिए।
  45. प्रश्न- आधुनिक समीक्षा पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- 'समीक्षा के नये प्रतिमान' अथवा 'साहित्य के नवीन प्रतिमानों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  47. प्रश्न- ऐतिहासिक आलोचना क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  48. प्रश्न- मार्क्सवादी आलोचकों का ऐतिहासिक आलोचना के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
  49. प्रश्न- हिन्दी में ऐतिहासिक आलोचना का आरम्भ कहाँ से हुआ?
  50. प्रश्न- आधुनिककाल में ऐतिहासिक आलोचना की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उसके विकास क्रम को निरूपित कीजिए।
  51. प्रश्न- ऐतिहासिक आलोचना के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के सैद्धान्तिक दृष्टिकोण व व्यवहारिक दृष्टि पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- शुक्लोत्तर हिन्दी आलोचना एवं स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के योगदान का मूल्यांकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
  55. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में नन्ददुलारे बाजपेयी के योगदान का मूल्याकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
  56. प्रश्न- हिन्दी आलोचक हजारी प्रसाद द्विवेदी का हिन्दी आलोचना के विकास में योगदान उनकी कृतियों के आधार पर कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ. नगेन्द्र के योगदान का मूल्यांकन उनकी पद्धतियों तथा कृतियों के आधार पर कीजिए।
  58. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के विकास में डॉ. रामविलास शर्मा के योगदान बताइए।

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